पुतिन की गिरफ्तारी का क्या और कितना असर होगा, हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी
हेग में अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। पुतिन पर यूक्रेन में युद्ध अपराधों के लिए जिम्मेदार होने का आरोप लगाया गया है। आरोपों में बच्चों का अवैध निर्वासन जैसे गंभीर अपराध भी शामिल है।
आरोप पत्र में पुतिन के अलावा लवोवा-बेलोवा भी सह-आरोपी हैं, जो रूसी राष्ट्रपति के कार्यालय में बच्चों के अधिकार आयुक्त हैं। क्रेमलिन ने हालांकि इस वारंट को टॉयलेट पेपर करार दिया हो लेकिन, सवाल यह है कि क्या पुतिन गिरफ्तार हो सकते हैं? आईसीसी के अरेस्ट का पुतिन पर क्या और कितना असर हो सकता है।
क्रेमलिन ने आईसीसी के आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि गिरफ्तारी वारंट कानूनी रूप से "शून्य" है क्योंकि मॉस्को आईसीसी के अधिकार क्षेत्र को मान्यता नहीं देता है। इसके अलावा रूस आईसीसी का सदस्य भी नहीं है।
पुतिन के अरेस्ट वारंट को लेकर नई बहस शुरू हो गई है। रूसी नेताओं ने ललकारते हुए पूछा है कि किस देश में इतना दम है जो पुतिन को गिरफ्तार कर सके। वहीं, रूस के विपक्षी नेताओं ने इस फैसले की सराहना की और कहा कि पुतिन को गिरफ्तार कर लिया जाना चाहिए।
ICC के बयान के अनुसार, रूसी राष्ट्रपति "बच्चों के अवैध निर्वासन के युद्ध अपराध और यूक्रेन के कब्जे वाले क्षेत्रों से रूस में बच्चों के अवैध हस्तांतरण के लिए कथित रूप से जिम्मेदार हैं"। यह मानने के लिए "उचित आधार" हैं कि पुतिन ने "दूसरों के साथ संयुक्त रूप से सीधे तौर पर कार्य किए हैं और" कृत्यों को अंजाम देने वाले नागरिक और सैन्य अधीनस्थों पर ठीक से नियंत्रण करने में विफल रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र जांच आयोग की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बीबीसी ने एक रिपोर्ट में कहा कि इनमें से कुछ बच्चों को रूसी नागरिकता लेने के लिए मजबूर किया गया था और उन्हें पालक परिवारों में रखा गया था, जिसके कारण वे रूस में "स्थायी रूप से" रह गए।